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1 जब मनुष्यों की संख्या पृथ्वी पर बहुत अधिक होने लगी और तब उनसे लड़कियाँ पैदा हुईं। 2 परमेश्वर के पुत्रों में से कुछ ने देखा कि मनुष्यों की लड़कियाँ सुन्दर थीं। इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी बनाने के लिए उनमें से किसी को भी चुन लिया। 3 तब यहोवा ने कहा, "मेरी सांस हमेशा लोगों में नहीं रहेगी कि वे जीवित रहे। वे कमजोर मांस से बने हैं। वे 120 वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहेंगे।"

4 जब ये परमेश्वर के पुत्र मनुष्यों की पुत्रियों के साथ सोये तो उन्होंने बच्चों को जन्म दिया। ये वही दैत्य थे जो पृथ्वी पर उस समय और उसके बाद भी रहे। ये दैत्य वीर सैनिक थे और ये बहुत पहले से प्रसिद्ध थे।

5 यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य बहुत अधिक दुष्ट हो गए हैं और जो कुछ मनुष्य अपने मन में विचार करते हैं वह निरन्तर बुरा होता था। 6 यहोवा को इस बात का दुःख हुआ कि उन्होंने पृथ्वी पर मनुष्यों को बनाया। इन बातो ने यहोवा को बहुत दुःखी किया। 7 तब यहोवा ने कहा, "मैं अपनी बनाई पृथ्वी के सारे लोगों को खत्म कर दूँगा। मैं हर बड़े जानवर, पृथ्वी पर रेंगने वाले प्रत्येक जीवजन्तु और पक्षियों को भी नाश करूँगा। इनमें से कोई भी पृथ्वी पर जीवित नहीं रहेगा क्योंकि मैं इस बात से दुःखी हूँँ कि मैंने इन सभी को बनाया।"

8 परन्तु यहोवा नूह से प्रसन्न थे। 9 नूह एक ऐसा व्यक्ति था जिसका व्यवहार हमेशा धार्मिक था। उस समय का कोई भी व्यक्ति नूह की आलोचना नहीं कर सकता था। नूह परमेश्वर के साथ रहता था। 10 नूह के तीन पुत्र थे: शेम, हाम और येपेत।

11 परमेश्वर ने देखा कि पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति बहुत दुष्ट थे और पृथ्वी पर सभी स्थानों के लोग एक-दूसरे के प्रति क्रूर और हिंसक थे। 12 परमेश्वर ने पृथ्वी पर दृष्टि की और देखा कि लोग कितने बुरे थे क्योंकि पृथ्वी पर सभी लोग एक-दुसरे के साथ दुष्टता का व्यवहार कर रहे थे। 13 इसलिए परमेश्वर ने नूह से कहा, "मैंने सभी लोगों को नष्ट करने का निर्णय किया है क्योंकि सारी पृथ्वी पर लोग एक-दूसरे के प्रति हिंसक हैं। इसलिए मैं सभी जीवित प्राणियों से छुटकारा चाहता हूँ इसके साथ ही पृथ्वी की प्रत्येक वस्तु से भी। मैं उनको पृथ्वी से मिटाऊँगा। 14 गोपेर की लकड़ी से अपने लिए एक जहाज बना। इसके अंदर कमरे बना। जल अन्दर न आये इसलिए इसे राल से अन्दर और बाहर पोत दे। 15 तुझे इसे ऐसे ही बनाना है: यह जहाज 138 मीटर लंबा, 24 मीटर चौड़ा और 14 मीटर ऊँचा होना चाहिए। 16 जहाज के लिए छत बना। हवा और प्रकाश प्रवेश करने के लिए किनारों और छत के बीच लगभग आधे मीटर की स्थान छोड़ देना। इसके अंदर तीन मंजिलें बना और एक दरवाजा रख। 17 ध्यान से सुन! मैं जल प्रलय लाने वाला हूँँ जो आकाश के नीचे रहने वाले और पृथ्वी के सभी प्राणियों को नष्ट कर देगा। 18 किन्तु मैं तुझ से एक विशेष प्रतिज्ञा करता हूँ, तू और तेरी पत्नी, तेरे पुत्र और उनकी पत्नियाँ सभी जहाज में प्रवेश करेंगे। 19 तुझे अपने साथ जहाज में सभी जीवित प्राणियों के एक नर और एक मादा को भी ले जाना है ताकि वे भी जीवित रह सकें। 20 तेरे पास हर प्रकार के दो प्राणी आएंगे ताकि तू उन्हें जीवित रख सके। इसमें प्रत्येक प्रकार के दो पक्षी और प्रत्येक प्रकार के दो बड़े जानवर और प्रत्येक प्रकार के पृथ्वी पर रेंगने वाले दो जन्तु हों। 21 तुमको सभी प्रकार के वैसे भोजन भी लेने हैं जिनकी आवश्यकता इन सभी प्राणियों को होगी। भोजन को जहाज में जमा कर लेना। " 22 तब नूह ने सब कुछ किया जो परमेश्वर ने नूह से करने के लिए कहा था।