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1 तब यहोवा ने नूह से कहा, "मैंने देखा है कि इस समय के सभी जीवित लोगों में तू ही एक अकेला है जो न्यायपूर्ण ढंग से काम करता है। इसलिए मैं चाहता हूँँ कि तू और तेरा परिवार जहाज में जा। 2 तू अपने साथ हर प्रकार के जानवरो के सात जोड़े लेना जिनका बलिदान मैं स्वीकार करूँगा। सात नर और सात मादा ले। एक नर और एक मादा उन जानवरों का लेना जिनका बलिदान स्वीकार करने से मैंने मना कर दिया था। 3 उनके वंश को पृथ्वी पर जीवित रखने के लिए हर प्रकार की पक्षियों के सात जोड़े भी लें। 4 ऐसा इसलिए कर क्योंकि अब से सातवें दिन मैं पृथ्वी पर अत्याधिक वर्षा भेजूँगा। यह वर्षा चालीस दिन और चालीस रात होती रहेगी। इस प्रकार, मैंने पृथ्वी पर जो कुछ भी बनाया है उन सबको मैं नष्ट कर दूँगा।"

5 नूह ने वह सबकुछ किया जो यहोवा ने नूह को करने के लिए कहा था। 6 धरती पर जल प्रलय आने के समय नूह छः सौ वर्ष का था। 7 वर्षा शुरू होने से पहले, नूह और उसकी पत्नी और उसके बेटे और उनके बेटो की पत्नियाँ जलप्रलय से बचने के लिए जहाज में आ गए। 8 उन जानवरों के जोड़े जिनको परमेश्वर ने कहा था कि वह बलिदान के लिए स्वीकार किए जाएँगे और वे जोड़े भी जो बलिदान के लिए स्वीकार नहीं किए जाएँगे, और पक्षियों के जोड़े और सभी प्रकार के प्राणियों के जोड़े जो भूमि पर रेंगते हैं, 9 सभी प्रकार के नर और मादा जानवर नूह के पास आए और परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार जहाज में चढ़े। 10 सात दिनों बाद वर्षा शुरू हुई और जल पृथ्वी पर बढ़ने लगा। 11 जब नूह छह सौ वर्ष का था तो दूसरे महीने के सत्रहवें दिन पृथ्वी के नीचे का सारा जल फूट के बहना शुरु हो गया। उसी दिन पृथ्वी पर अत्याधिक वर्षा होने लगी ऐसा लगा मानो आकाश फट गया हो। 12 चालीस दिन और चालीस रात तक निरन्तर वर्षा पृथ्वी पर होती रही। 13 जिस दिन वर्षा शुरू हुई उसी दिन नूह, उसकी पत्नी, उसके पुत्र शेम, हाम और येपेत और उनकी पत्नियाँ जहाज़ में प्रवेश कर गए। 14 नूह और उसके परिवार सहित हर प्रकार के जंगली जानवर, हर प्रकार के पालतू पशु, धरती पर रेंगनेवाले प्रत्येक प्रकार के जन्‍तु, हर प्रकार के पक्षी और पंख वाले हर प्रकार के प्राणी जहाज में प्रवेश कर गए। 15 सांस लेने वाले सभी प्राणियों के जोड़े नूह के पास आए और उन्होंने जहाज में प्रवेश किया। 16 परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार सभी जानवरों के नर और मादा नूह के पास आये और जहाज़ में चढ़े। उनके अन्दर जाने के बाद यहोवा ने दरवाज़ा बन्द कर दिया।

17 चालीस दिन तक जल प्रलय होता रहा और जल बढ़ना शुरु हुआ। जल ने जहाज को भूमि से ऊपर उठा दिया। 18 जल पृथ्वी पर बहुत ही बढ़ गया और जहाज जल के ऊपर तैरता रहा। 19 जल पृथ्‍वी पर इतना बढ़ गया कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और पृथ्वी पर सब कुछ उसमें डूब गए। 20 जल यहाँ तक बढ़ा कि ऊँचे पहाड़ भी छह मीटर से अधिक जल से ढके थे और आकाश के नीचे स्थिर थे। 21 इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी के सभी जीव मारे गए। इसमें पक्षियों, पालतू पशु, जंगली जानवरों, और अन्य सभी जीव पृथ्वी पर रेंगने वाले जीव शामिल थे। पृथ्वी पर सभी लोग मारे गए। 22 पृथ्वी पर सांस लेने वाला प्रत्येक जीव मारा गया। 23 इस प्रकार पृथ्वी के सभी जीव मर गये। मरने वालो में हर मनुष्य, हर एक बड़ा जानवर, हर एक रेंगने वाला जीव और हर एक पक्षी शामिल थे। जीवित बचने वालों में नूह और उसके साथ जहाज में रहने वाले थे। 24 जल 150 दिनों तक पृथ्वी पूरी तरह जल प्रलय में डूबी रही।