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1 तब याकूब अपनी सारी सम्पति और अपने पूरे परिवार के साथ वहाँ से चल पड़ा। जब वह बेर्शेबा पहुँचा तब उसने परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाया जिनकी आराधना उसका पिता इसहाक करता था। 2 उस रात, परमेश्वर ने दर्शन देकर याकूब से कहा, "याकूब! याकूब!" उसने उत्तर दिया, "मैं यहाँ हूँँ!" 3 परमेश्वर ने कहा, "मैं वह परमेश्वर हूँ जिसकी आराधना तेरा पिता करता था। मिस्र जाने से मत डर। मैं तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊँगा और वे वहाँ एक बड़ी जाति बन जाएँगे। 4 मैं तेरे साथ मिस्र जाऊँगा, और बाद में मैं तेरे वंशजों को फिर कनान में लाऊँगा। तेरे मरने के समय यूसुफ तेरे साथ होगा।"

5 तब याकूब बेर्शेबा से निकला। उसके पुत्रों ने अपने पिता को, अपनी पत्नियों और बच्चों को राजा द्वारा भेजी गई गाड़ियों में सवार किया और चल पड़े। 6 इस प्रकार याकूब और उसका पूरा परिवार मिस्र गया। उन्होंने अपने साथ अपने सारे पशुओं और अन्य सभी संपत्तियाँ लीं जो उन्होंने कनान में प्राप्त की थीं। 7 यह इस्राएल के उन पुत्रों, पुत्रियों, पोते-पोतियों के और परिवारों के नाम हैं जो उसके साथ मिस्र गए।

8 यह याकूब के परिवार के सदस्यों के नामों की एक सूची है जो उनके साथ मिस्र गए थे: रूबेन याकूब का पहला पुत्र था। 9 रूबेन के पुत्र थे: हनोक, पल्लू, हेस्रोन और कर्मी । 10 शिमोन के पुत्र: यमूएल, यामीन, ओहद, याकीन, सोहर और शाऊल। शाऊल कनानी पत्नी से पैदा हुआ था। 11 लेवी के पुत्र: गेर्शोन, कहात और मरारी। 12 यहूदा के पुत्र: एर, ओनान, शेला, पेरेस और जेरह। (उसके अन्य पुत्र, एर और ओनान कनान में रहते समय मर गये थे।) पेरेस के पुत्र: हेस्रोन और हामूल। 13 इस्साकार और उसके पुत्र तोला, पुब्बा, योब और शिम्रोन। 14 जबूलून, और उसके पुत्र सेरेद, एलोन और यहलेल। 15 याकूब के ये पुत्र पद्दनराम में लिआ से जन्मे थे और उसकी पुत्री दीना भी थी। कुल पुत्र पुत्रियाँ तैंतीस थे। 16 गाद और उसके पुत्र सिय्योन हाग्गी, शूनी, एसबोन, एरी, अरोदी और अरेली। 17 आशेर और उसके पुत्र यिम्ना, यिश्बा, यिस्बी और बरीआ तथा उसकी पुत्री सेरह। बरीआ के पुत्र हेबेर और मल्कीएल। 18 (ये सब याकूब और लिआ के पिता द्वारा लिआ को दी गई दासी से उत्पन्न हुए थे। ये कुल सोलह जन थे।) 19 याकूब की पत्नी राहेल के पुत्र यूसुफ और बिन्यामीन। 20 (यूसुफ के पुत्र एप्रैम और मनश्शे मिस्र नहीं गए क्योंकि उनका जन्म तो मिस्र ही में हुआ था। उनकी माता का नाम आसनत था जो ओन नगर के याजक पोतीपेरा की पुत्री थी।) 21 बिन्यामीन, और उसके पुत्र बेला, बेकेर, अश्बेल, गेरा, नामान, एही, रोश, मुप्पीम, हुप्पीम और अर्द थे। 22 (ये राहेल और याकूब के पुत्र और पोते थे। वे चौदह लोग थे।) 23 दान और उसका पुत्र हूशीम। 24 नप्ताली और उसके पुत्रयहसेल, गूनी, सेसेर और शिल्लेम। 25 (ये याकूब और बिल्हा के पुत्र थे, दास लड़की, जिसे लाबान ने अपनी पुत्री राहेल को दिया था। वे सात लोग थे।)

26 याकूब का वंश जो उसके साथ मिस्र गया उनकी संख्या कुल छियासठ थी। उसके पुत्रों की पत्नियों की गणना नहीं की गई है।। 27 याकूब और यूसुफ और यूसुफ के दोनों पुत्र जिनका जन्म मिस्र में हुआ था उनकी भी गणना करें तो मिस्र में उसके और उसके पुत्रों के परिवार के सत्तर पुरूष मिस्र में थे।

28 याकूब ने पहले यहूदा को यूसुफ के पास भेजा। यहूदा गोशेन प्रदेश में यूसुफ के पास गया। जब याकूब और उसके लोग उस प्रदेश में गए। 29 जब वे वहाँ पहुँचे तब यूसुफ ने अपना रथ तैयार करवाया और अपने पिता से भेंट करने के लिए गोशेन गया। जब यूसुफ वहाँ पहुँचा तब अपने पिता के गले से लिपट कर बहुत देर तक रोया। 30 याकूब ने यूसुफ से कहा, "मैंने तुझे देखा है, और अब मुझे पता है कि तू अभी भी जिंदा है! तो अब मैं मरने के लिए तैयार हूँँ।"

31 तब यूसुफ ने अपने भाइयों और परिवार के सब सदस्यों से कहा, "मैं जाकर राजा से कहूँगा, 'मेरे भाई और मेरा पिता और उनका कुटुम्ब कनान से मेरे पास आ गया है। 32 सभी पुरुष चरवाहे हैं। वे अपने पशुओं का ख्याल रखते हैं, और वे अपने साथ अपनी भेड़ें, बकरियाँ, पशु, और जो कुछ भी उनके पास है, साथ लाये है। ' 33 जब राजा तुम्हें बुला कर पूछे, ' तेरा व्यवसाय क्या है?' 34 तो उससे कहना, "हमने तो अपनी युवावस्था से ही पशुपालन किया है क्योंकि हमारे पूर्वज भी ऐसा ही करते थे।' तुम उससे ऐसा कहोगे तो वह तुम्हें गोशेन में रहने देगा। यूसुफ ने ऐसा इसलिए कहा कि मिस्री चरवाहों को पसंद नहीं करते थे।