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1 तब यूसुफ अपनी भावनाओं को और रोक नहीं सका। वह वहाँ उपस्थित सभी अपने सेवकों के सामने रोना नहीं चाहता था। इसलिए उसने ऊँचे स्वर में कहा, "इन सब को बाहर निकाल दो।" जब सब मिस्री बाहर चले गए तब यूसुफ ने अपने भाइयों पर प्रकट किया की वह कौन है। 2 वह इतनी जोर से रो रहा था, कि बाहर के सब लोगों ने भी सुना। यहाँ तक कि राजा के महल के लोगों ने उसका रोना सुना। 3 यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, "मैं यूसुफ हूँँ! क्या हमारा पिता अभी भी जीवित है?" किन्तु भाई उसको उत्तर नहीं दे सके। क्योंकि जो कुछ उसने कहा उससे वे डर गये थे। 4 तब यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, "मेरे पास आओ!" जब वे उसके निकट आए, तो उसने कहा, "मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूँ। मैं वहीं हूँ जिसे तुम ने व्यापारियों के हाथ बेच दिया था और वो मुझे लेकर मिस्र आ गए थे। 5 परन्तु अब परेशान न हो, और अपने आप पर क्रोध मत करो कि तुम ने मुझे दास होने के लिए बेच दिया था। परमेश्वर ने मुझे तुमसे पहले यहाँ भेज दिया था कि तुम्हें अकाल में मरने से बचा लूँ। 6 इस देश में दो वर्ष से अकाल है और यह पाँच वर्ष तक और रहेगा। इन दिनों कोई भी यहाँ फसल नहीं उगा सकता और यहाँ कोई फसल नहीं होगी की काटी जा सके। 7 परमेश्वर ने मुझे तुम सब को भुखमरी से बचाने के लिए और तुम्हारे वंशजों को जीवित रखने के लिए ही यहाँ पहले भेज दिया था। 8 इसलिए, मुझे यहाँ भेजने वाले तुम नहीं परमेश्वर हैं। उन्होंने मुझे राजा के पिता के समान इस देश में रखा है। ताकि मैं राजा के महल की हर वस्तु का प्रभारी रहूँ और मिस्र में प्रत्येक व्यक्ति का शासक बनूँ! 9 अब मेरे पिता के पास जल्दी लौटकर उससे कहो, 'तेरा पुत्र यूसुफ यही कहता है, "परमेश्वर ने मुझे सम्पूर्ण मिस्र देश का राज्यपाल बना दिया है। इसलिए तुरन्त मेरे पास आ जाओ! 10 तुम गोशेन देश में रह सकते हो। तुम और तुम्हारी संतान और तुम्हारी संतानों की संतान, तुम्हारी भेड़ बकरियाँ, गाय बैल और तुम्हारा सब कुछ मेरे पास रहेगा। 11 क्योंकि अकाल के पाँच वर्ष और शेष हैं, मैं सुनिश्चित करूँगा कि तुम्हारा पालन-पोषण किया जाए। यदि तुम यहाँ नहीं आओगे तो तुम और तुम्हारा परिवार तथा तुम्हारे सब दास-दासियाँ भूख से मर जाएँगे।"

12 यदि तुम और बिन्यामीन भी ध्यान से देखो तब तुम सभी जान सकोगे कि मैं जो तुमसे बातें कर रहा हूँ, मैं वास्तव में यूसुफ ही हूँ। 13 जाओ और मेरे पिता को बताओ कि यहाँ मिस्र में मेरी कैसी प्रतिष्ठा है और जो कुछ तुम ने देखा है उसका उससे वर्णन करो। मेरे पिता को यहाँ शीघ्र ले आओ।"

14 तब उसने अपनी बाँहें फैलाकर अपने छोटे भाई बिन्यामीन को गले लगाया और रोया और बिन्यामीन भी उसके गले लग कर रोया। 15 फिर उसने अपने बड़े भाइयों के गालों को चूमा, और रोया। उसके बाद, सब भाई यूसुफ से बातें करने लगे।

16 किसी ने राजा को समाचार दिया कि यूसुफ के भाई आए हैं, तो राजा और उसके सब कर्मचारी बहुत प्रसन्न हुए। 17 राजा ने यूसुफ से कहा, "अपने भाइयों से कह, 'अपने पशुओं पर अन्न लाद कर कनान जाएँ। 18 फिर वे अपने पिता और अपने परिवारों को यहाँ वापस लाएँ। मैं उन्हें मिस्र की सर्वोत्तम भूमि दूँगा और सब से उत्तम भोजन जो यहाँ का है, उन्हें दिया जाएगा।' 19 अपने भाइयों से यह भी कह, 'मिस्र देश से गाड़ियाँ ले जाओ और अपनी स्त्रियों और बच्चों को और अपने पिता को लेकर शीघ्र ही मिस्र आ जाओ। 20 अपनी धन संपदा को लाने की चिन्ता मत करना क्योंकि मिस्र की सर्वोत्तम वस्तुएँ तुम्हारी होंगी। इसलिए तुम्हें कनान से कुछ भी लाने की आवश्यकता नहीं है।"

21 याकूब के पुत्रों ने राजा के आदेश के अनुसार किया। यूसुफ ने उन्हें राजा के आदेश के अनुसार गाड़ियाँ और मार्ग के लिए भोजन दिया। 22 उसने उनमें से हर एक को नए वस्त्र दिए परन्तु बिन्यामीन को उसने पाँच जोड़ी नए वस्त्र और चाँदी के तीन सौ टुकड़े दिए। 23 अपने पिता के लिए उसने जो भेजा यह उसका विवरण है: मिस्र की सर्वोत्तम वस्तुओं से लदे दस गदहे और अन्न, रोटी और मिस्र की यात्रा हेतु पिता के लिए भोजन से लदी दस गदहियाँ। 24 तब उसने अपने भाइयों को यह कहते हुए विदा किया कि, "रास्ते में झगड़ा मत करना!"

25 इसलिए सभी भाई मिस्र से निकले और कनान देश में अपने पिता याकूब के पास आए। 26 उनमें से एक ने पिता को बताया, "यूसुफ अभी भी जीवित है! वास्तव में, वह पूरे मिस्र का राज्यपाल है!" याकूब आश्चर्यचकित हुआ और वह विश्वास नहीं कर सका कि यह सच है। 27 उन्होंने उसे वे सब बातें बताईं जो यूसुफ ने उनसे कहीं थी। उसने वे गाड़ियाँ भी देखीं जो यूसुफ ने उसे लाने के लिए और उसके परिवार और सम्पति के लिए भेजी थीं। तब याकूब सदमे से बाहर निकला। 28 उसने कहा, "मेरे लिए तुम्हारी ये बातें विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त हैं कि मेरा पुत्र यूसुफ अभी भी जीवित है, और मैं मरने से पहले उसे देख सकूँगा!"