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1 इसके कुछ समय बाद, किसी ने यूसुफ से कहा, " तेरा पिता बीमार है।" यह सुन कर यूसुफ मनश्शे और एप्रैम, अपने दोनों पुत्रों को लेकर पिता से मिलने गया। 2 किसी ने याकूब से कहा, " तेरा पुत्र यूसुफ तुझे देखने आया है!" याकूब, (जिसे इस्राएल भी कहा जाता है) ने प्रयास किया और बिस्तर पर बैठ गया, जबकि उसके लिए बैठना बहुत ही कठिन था। 3 उसने यूसुफ से कहा, "जब मैं कनान के लूज नगर में था तब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मुझे दर्शन दिया और मुझे आशीष दी। 4 और मुझसे कहा, 'मैं तुझे अनेक संतान का पिता बनाऊँगा। तेरे वंशज अनगिनत होंगे और वे अनेक समुदाय उत्पन्न करेंगे और मैं यह देश सदा के लिए उन्हें दे दूँगा।'

5 और अब मैं यह मानता हूँ कि तेरे ये दोनों पुत्र जिनका जन्म यहाँ, मिस्र में मेरे आने से पहले हुआ है, मेरी संतान हैं। एप्रैम और मनश्शे मेरे पुत्र होंगे और वे मेरे उत्तराधिकारी होंगे। ठीक वैसे ही जैसे रूबेन और शिमोन तथा अन्य पुत्र होंगे। 6 यदि इसके बाद तेरे और भी पुत्र जन्में तो वे मेरे पुत्र नहीं पोते होंगे। उन्हें भूमि के बँटवारे के समय अपने भाइयों के वंश में गिना जाएगा और उन्हें विरासत में वही मिलेगा जो भाइयों को मिलेगा। 7 वर्षो पूर्व, जब मैं पद्दनराम से लौट रहा था, तब तेरी माता राहेल का दुखद देहान्त कनान में हो गया था। उस समय हम मार्ग ही में थे जो एप्राता से अधिक दूर नहीं था। मैंने उसे एप्राता के मार्ग में ही दफन कर दिया। (एप्राता को अब बैतलहम कहते हैं।)

8 जब याकूब ने यूसुफ के पुत्रों को देखा और पूछा, "ये लड़के कौन हैं?" 9 यूसुफ ने अपने पिता से कहा, "ये मेरे पुत्र हैं जिन्हें परमेश्वर ने मुझे मिस्र में दिये है।" याकूब ने कहा, "उन्हें मेरे निकट ला कि मैं उन्हें आशीर्वाद दे सकूँ।" 10 याकूब लगभग अँधा हो गया था क्योंकि वह बहुत बूढ़ा था। वह अच्छी तरह से नहीं देख सकता था। यूसुफ अपने पुत्रों को पिता के पास लाया और याकूब ने उन्हें चूमा और गले लगाया। 11 याकूब ने यूसुफ से कहा, "मुझे तेरा चेहरा फिर से देखने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन देखो परमेश्वर ने न केवल तुझे देखना मेरे लिए संभव बनाया, परन्तु मुझे तेरे बच्चों को भी देखने का अवसर दिया!"

12 यूसुफ ने अपने लड़कों को याकूब के पैरों पर से ऊपर उठाया और यूसुफ ने अपने पिता को झुककर प्रणाम किया। 13 तब यूसुफ अपने दोनों पुत्रों को पिता के पास बुलाया और एप्रैम को याकूब के बाएँ हाथ की ओर और अपनी दाएँ ओर तथा अपने बाएँ हाथ की ओर मनश्शे को याकूब के दाहिने हाथ के समीप बैठाया। 14 लेकिन याकूब ने वैसा नहीं किया जैसा यूसुफ चाहता था, की वह करे। इसकी अपेक्षा, उसने अपना दाहिना हाथ एप्रैम के सिर पर रखा यद्यपि वह छोटा पुत्र था और अपना बायां हाथ मनश्शे के सिर पर रखा यद्यपि मनश्शे बड़ा पुत्र था। 15 तब उसने यूसुफ और उसके पुत्रों को आशीर्वाद दिया, "मेरे दादा, अब्राहम और मेरे पिता इसहाक ने परमेश्वर की इच्छानुसार जीवन व्यतीत किया और उन्ही परमेश्वर ने मेरा आज तक चरवाहे के रूप में मेरा मार्गदर्शन किया है। जैसे चरवाहा अपनी भेड़ों की देख-रेख करता है। 16 जिस स्वर्गदूत को उन्होंने भेजा है, उसने मुझे किसी भी प्रकार की हानि नहीं होने दी।
मैं प्रार्थना करता हूँँ कि परमेश्वर इन लड़कों को भी आशीर्वाद दें।
मैं प्रार्थना करता हूँँ कि लोग मेरे और मेरे पूर्वज, अब्राहम और इसहाक को याद रखेंगे परमेश्वर ने जो उनके लिए किया है, उसके कारण।
मैं प्रार्थना करता हूँँ कि उनके अनगिनत वंशज होंगे जो पूरी पृथ्वी पर निवास करेंगे।"

17 जब यूसुफ ने देखा कि उसके पिता ने एप्रैम के सिर पर अपना दाहिना हाथ रखा था, मनश्शे के सिर पर नहीं, तो वह दुखी हो गया। इसलिए वह अपने पिता के हाथ को एप्रैम के सिर से मनश्शे के सिर तक ले गया। 18 यूसुफ ने उससे कहा, "मेरे पिता, यह सही नहीं है! जिस पर तू ने अपना बायां हाथ रखा है वह मेरा बड़ा पुत्र है। अपना दाहिना हाथ इसके सिर पर रख।" 19 परन्तु उसके पिता ने मना कर दिया, "पुत्र, मैं जानता हूँ। मनश्शे का जन्म पहले हुआ है और वह महान होगा। वह बहुत से समुदायों का पिता भी होगा। किन्तु छोटे भाई के वंशज बड़े भाई के वंशजों से बड़े होंगे और छोटे भाई के वंशज अनेक राष्ट्र बनेंगे।" 20 उन्होंने उन दोनों को उसी दिन आशीर्वाद दिया, और कहा, "इस्राएल जाति के लोग तुम दोनों के नाम लेकर लोगों को आशीर्वाद दिया करेंगे। वे कहेंगे, 'हम प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर तुम्हें एप्रैम और मनश्शे के समान बना दें।" इस प्रकार, याकूब ने कहा कि एप्रैम मनश्शे की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होगा।

21 तब याकूब ने यूसुफ से कहा, "मैं मरने वाला हूँँ। परन्तु मुझे पता है कि परमेश्वर तेरी सहायता करेंगे। एक दिन वे तेरे वंशजों को तेरे पूर्वजों के देश में ले जाएँगे। 22 तू जो अपने भाइयों से ऊपर है, मैं तुझे शकेम के प्रदेश में उपजाऊ पर्वतीय क्षेत्र देता हूँ। मैंने उस क्षेत्र को एमोरियों से अपनी तलवार और तीर धनुष के द्वारा कब्ज़ा किया है।"