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1 एक दिन दीना, जो याकूब और लिआ की पुत्री थी, उस क्षेत्र की कुछ स्त्रीयों से मिलने गई। 2 हिब्बी हमोर के पुत्रों में से एक, शकेम ने दीना को देखा। उसने उसे पकड़ लिया और अपने साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए विवश किया। 3 वह उससे बहुत आकर्षित था और शकेम दीना से प्रेम करने लगा। वह उससे मधुर बातें भी करने लगा। 4 शकेम ने अपने पिता से कहा, "कृपया इस लड़की को मेरे लिए ले आ, ताकि मैं इसके साथ विवाह कर सकूँ।"

5 जब याकूब को यह समाचार मिला कि शकेम ने उसकी पुत्री दीना के साथ ऐसी बुरी बात की है। याकूब के सभी पुत्र तब अपने पशुओं के साथ मैदान में गए थे। इसलिए वे जब तक नहीं लौटे, याकूब ने कुछ नहीं किया।

6 इसी बीच शकेम का पिता हमोर याकूब के पास गया। 7 याकूब के पुत्र जब खेत से घर लौटे तब उन्हें पता चला कि क्या हुआ, तो वे चौंक गए और बहुत क्रोधित हुए। शकेम ने याकूब की पुत्री के साथ सो कर इस्राएल को कलंकित किया था। वह उनकी बहन थी! यह एक भयानक अपराध था जिसे कभी नहीं किया जाना चाहिए था।

8 परन्तु हमोर ने भाइयों से बात की। उसने कहा, "मेरा पुत्र शकेम दीना से बहुत प्रेम करता है। कृपया उसे इसके साथ विवाह करने दो। 9 आओ हम एक ऐसा समझौता करते हैं कि हम तेरे युवकों के लिए अपनी पुत्रियाँ दें कि वे उनकी पत्नियाँ हों और तू हमारे युवकों के लिए अपनी पुत्रियाँ दो कि वे उनकी पत्नियाँ हों। 10 तुम लोग हमारे साथ एक प्रदेश में रह सकते हो। यदि तुझे कोई भूमि पसन्द आए तो उसे खरीद भी ले। तू यहाँ बेच या खरीद सकता है।"

11 तब शकेम ने दीना के पिता और भाइयों से कहा, "यदि तुम सब की कृपा दृष्टि मुझ पर हो तो जो तुम चाहो, मैं दूँगा। 12 तुम जो कुछ मुझसे कहोगे मैं दीना के वधू मूल्य में दूँगा। मुझे केवल तेरी पुत्री से विवाह करना है।"

13 परन्तु शकेम ने उनकी बहन दीना के साथ अभद्र व्यवहार किया था, याकूब के पुत्र शकेम और उसके पिता, हमोर को धोखा दे रहे थे। 14 उन्होंने उनसे कहा, "नहीं, हम अपनी बहन को किसी खतना-रहित की पत्नी होने के लिए नहीं दे सकते क्योंकि ऐसा करना हमारे लिए लज्जा की बात है। 15 ऐसा तब ही हो सकता है जब तुम लोग अपने सब पुरूषों का खतना करके हमारे जैसे हो जाओ। 16 तब हम अपनी पुत्रियाँ तुम्हारे युवकों की पत्नियाँ होने के लिए दे देंगे और तुम्हारी पुत्रियों को अपने युवकों की पत्नियाँ होने के लिए ले लेंगे। तब हम तुम्हारे साथ रहेंगे और हम सब एक ही समुदाय होंगे। 17 लेकिन यदि तुम खतना नहीं कराओगे तो हम अपनी बहन को लेकर यहाँ से चले जाएँगे। "

18 उनकी बात से हमोर और उसका पुत्र शकेम प्रसन्न हुए। 19 शकेम तो याकूब की पुत्री को पत्नी बनाना चाहता था और वह अपने पिता के परिवार में माननीय भी था। वह याकूब के पुत्रों की शर्त मानने के लिए तुरन्त तैयार हो गया। 20 हमोर और शकेम अपने नगर के सभास्थल गए। उन्होंने नगर के प्रधानो से बातें की और कहा, 21 "ये लोग हमारे साथ मित्रभाव रखते हैं। इसलिए यह उचित है कि हम उन्हें अपने बीच रहने दें। इन्हें स्वतंत्रता से घूमने-फिरने दें। यह देश पर्याप्त बड़ा है कि हम सब का निर्वाह हो जाता है। हमारे पुत्र उनकी पुत्रियों से विवाह करें और उनके पुत्र हमारी पुत्रियों से विवाह करें। 22 परन्तु हमारे साथ मिलकर रहने के लिए उनकी एक शर्त है, हमारे सब पुरूष उनके समान खतना करवाएँ, जैसा उन्होंने कराया है। 23 यदि हम ऐसा करते हैं तो उनका पशु धन और संपूर्ण संपदा भी तो हमारी हो जाएगी। इसलिए हम लोग उनके साथ यह सन्धि करें और वे यहीं हम लोगों के साथ रहेंगे!" 24 नगर के फाटक पर उपस्थित सब लोग हमोर और उसके पुत्र के सुझाव से सहमत हो गए। इस प्रकार उस नगर के हर एक पुरूष का खतना किया गया।

25 इसके पश्चात तीसरे दिन जब उस नगर के पुरूष खतना के कारण पीड़ित थे तब शिमोन और लेवी, दीना के भाई जो याकूब के पुत्र थे, तलवार लेकर उस नगर में घुस गए, उन्हें किसी ने नही रोका और सब पुरूषों को मार डाला। 26 उन्होंने हमोर और उसके पुत्र शकेम को भी मार डाला। तब वे दीना को शकेम के घर से बाहर ले आए और नगर छोड़ कर वहाँ से चले गए। 27 तब याकूब के अन्य पुत्रों ने नगर में प्रवेश किया जहाँ शव पड़े हुए थे और उस नगर को लूट कर अपनी बहन के साथ हुए लज्जा के कृत्य का बदला लिया। 28 उन्होंने उस नगर के अन्दर और बाहर कि भेड़ बकरियाँ, गाय, बैल, गदहे और धन संपदा सब कुछ लूट लिया। 29 उन्होंने सब मूल्यवान वस्तुएँ यहाँ तक कि उनके बच्चों और स्त्रियों को भी उठा लिया। घरों में जो कुछ लूट कर ले गए।

30 तब याकूब ने इस पर शिमोन और लेवी से कहा, " तुमने मेरे लिए महासंकट उत्पन्न कर दिया है। अब कनानी और परिज्जी और इस देश के सब निवासी मुझसे घृणा करेंगे। मेरे पास तो इतने पुरूष भी नहीं कि यदि वे मुझ से युद्ध करने आए तो उनका सामना कर पाऊँ। वे तो हमें और हमारे संपूर्ण समुदाय को नष्ट कर देंगे! " 31 परन्तु उन्होंने उत्तर दिया, "क्या हमें शकेम को हमारी बहन के साथ वैश्या के समान व्यवहार करने देना चाहिए था?"