आध्याय ११

1 मेरो अनुसरण करनबारे होबओ, जैसी मए ख्रीष्टको अनुसरण करत हौ । 2 मए बाढई करत हौ, काहेकी सबैके बारेमे तुम मोके सम्झत हओ, और मए तुमके दौ भौ शिक्षा कायम करत हौ । 3 पर तुम जा बुझओ कहन मए चाहत हौ, कि हरेक आदमीको शिर ख्रीष्ट हए, बैयरको शिर बिनको लोगा हए, और ख्रीष्टको शिर परमेश्वर हए । 4 प्रार्थना करत अथवा अगमवाणी बोलत अपनो मुण तोपन बारोआदमी अपनो परमेश्‍वरो अपमान करत हए । 5 पर मुण खुल्ला छोणके प्रार्थना करन बारी, अथवा अगमवाणी बोलन बारी बैयर अपनो मुणको अपमान करत हए, काहेकी जा बो अपनो बार कटो जैसो हए । 6 काहेकी कोइ बैयर मुण ना तोपत हए कहेसे बरु बो बार काटए । पर बार कटनो कि छोलनो बैयरके ताहिँ शर्मकि बात हए कहेसे बो मुणमे घुँघाट डारए । 7 काहेकी लोग अपनो मुण ना तोपन पणतहए, काहेकी बो परमेश्वरको प्रतिरुप और गौरब हए, पर बैयर लोगा को गौरब हए । 8 काहेकी लोगा बैयरसे ना बनोहए, पर बैयर लोगासे बनी हए । 9 बैयरके ताहिँ लोगा सृष्टि ना भौ हए, पर बैयर लोगाके ताहिँ हए । 10 जहेमारे और स्वर्गदूतके खातिर फिर बैयर अपनो मुण घुँघाटसे तुपो होन पणत हए । 11 तव फिर प्रभुमे लोगासे बैयर स्वतन्त्र ना होत हए, नत बैयरसे लोगा ना होत हए । 12 काहेकी जैसी लोगासे बैयर बनि, उइसी लोगा बैयरसे जन्मत हए । पर सब चिज परमेश्वरसे आत हए । 13 तुम अपनए विचार करौ, मुण नाए तोपके परमेश्वरके प्रार्थना करत बैयरके सोहातहए का? 14 लोग लम्बो बार पलहे कहेसे बो बाके ताहिँ शर्मकी बात हए कहिके प्रकृतिक फिर तुमके सिखात ना हए का? 15 पर अगर बैयरको लम्बो बार हए कहेसे बोके ताहिँ गौरव हए । काहेकी बैयरको बार बोके तोपनके ताहिँ दै हए । 16 पर कोइ जाके बारेमे वाद-विवाद करन चाहँत हए कहेसे, हमर अइसो कोइ रिति नैयाँ, नत परमेश्वर मण्डलीको न हए । 17 पर जे आदेश देत मए तुमर तारिफ ना करंगो, काहेकी तुम भेला होत बो अच्छोके ताहिँ ना होत हए, पर बो और खराबीके ताहिँ हए । 18 काहेकी पहिले त, मण्डलीमे एकसंग भेला होत तुमरमे फाटो हए कहिके मए सुनत हौ । तव कुछ मात्रमे मए बो विश्वास फिर करत हौ । 19 तुमर मैसे ग्रहणयोग्य ठहरे भए चिनन् ताहिँ तुमरमे मतभेद होन फिर आवश्यक हए । 20 जब तुम एकसंग भेला भए खानपिन करत हौ बो चाहिँ प्रभु-भोज नैयाँ । 21 काहेकी खान बैठत हरेक अपनो भोजन खात हँए, और कोइ भुखो रहत हए, तव कोइचाहिँ मद्धसे मातो होतहए । 22 का खान और पिनके ताहिँ तुमर अ- अपन घर नैयाँ ? अथवा का तुम परमेश्वरको मण्डलीके तुच्छ ठाहरत हौ और कछु ना होनबारोके अपमान करत हौ? मए तुमसे का कहौ? का जाके ताहिँ मए तुमर तारिफ* करौ? मए कदापि ना करहौ । 23 काहेकी प्रभुसे मए जो पाओ,सो तुमके सौप दौ, अर्थात् जौन रात बो पकणओ भव, बो रात प्रभु येशू रोटी लै, 24 और धन्यवाद दैके पिच्छु बो रोटी तोणी, और कही, “जा तुमर ताहिँ मेरो शरीर हए । जा मेरो सम्झनाके ताहिँ करौ ।” 25 अइसी करके खाएके पिच्छु बो कटोरा लैके कही, “जा कटोरा मेरो रगतमे भव नयाँ करार हए । जब- जब तुम जा पिबैगे, मेरो सम्झनामे जा अक्सर करौ ।” 26 काहेकी जब-जब तुम जा रोटी खाबैगे और जा कटोरामैसे पिबैगे, बाके ना आनतक तुम प्रभुको मृत्युको घोषणा करत हौ । 27 जहेमारे जौन अयोग्य रितिसे प्रभुको रोटी खाए हए, कि प्रभुको कटोरामैसे पिहए, बो आदमी प्रभुको शरीर और रगतके अपवित्र तुल्याहे कहेसे दोषी ठहरैगो । 28 हरेक आदमी अपनके जाँचए, तव मात्र बो रोटी खाबै, और कटोरासे पिबै । 29 काहेकी प्रभुको शरीरके नचिनके जौन खाएहे और पिहए बो खाओ और पिओ अपनउपर दण्ड लाबैगो । 30 जहेमारे तुमरमैसे गजब कमजोर और रुगहा हँए, और कित्तो जनै मरीगए हँए । 31 पर हम नेहत्व अपना अपनएके जाँच हए कहेसे हम न्यायमे ना पणंगे । 32 पर जब प्रभु हमरो न्याय करहे, तव हमके अनुशासन करैगो, ताकि संसारसंग दोषी ना ठहरैगे । 33 जहेमारे मेरे भैया तुम, खानके एकसंग भेला होत एक दुसरेके असियाबौ । 34 अगर कोइ भुखो हए कहेसे बो घरमे खाबए नत एकसंग भेला होत तुम दण्डको भागी हुइहौ । और बातके बारेमे मए आएके निर्देशन देमंगो ।